मुल्ला नसरुद्दीन की दास्तान- 54

9:50 pm गजेन्द्र सिंह 0 Comments

बगदाद का ज्योतिषी ...


नसरुद्दीन ने बाज़ार में वक़्त बर्बाद करना ठीक नहीं समझा। एक-एक मिनट क़ीमती था। एक सिपाही का जबड़ा, दूसरे के दाँत और तीसरे की नाक तोड़ता हुआ वह सही सलामत अली के कहवाघर में पहुँच गया। पिछवाड़े वाले कमरे में जाकर उसने जनाने कपड़े उतारे। बदख्शाँ का रंगीन साफ़ा बाँधा। नक़ली दाढ़ी लगाई और एक ऊँची लड़ाई का नज़ारा देखने लगा।

भीड़ से घिरे सिपाहियों ने भीड़ के हमले का डटकर मुक़ाबला करना शुरु कर दिया था। अचानक उसने कच्चे अंडे खाने वाले सिपाही को दर्द से चीख़ते-चिल्लाते देखा। अली ने उस पर गर्मागर्म कहवा उड़ेल दिया था, जो उसकी मोटी गर्दन पर पड़ा था। वह पीठ के बल ज़मीन पर गिर पड़ा था और हाथ-पैर हवा में फेंक रहा था।

अचानक एक बूढ़े की काँपती हुई आवाज़ सुनाई दी-‘मुझे जाने दो, अल्लाह के नाम पर मुझे जाने दो। यहाँ यह क्या हो रहा है?’ कहवाघर के पास ही लड़ाई के बीचों-बीच झुकी पतली नाक और सफे़द दाढ़ीवाला एक आदमी ऊँट पर बैठा दिखाई दिया। सूरत-शक्ल से वह अरब दिखाई दे रहा था। उसकी पगड़ी का शमला टँका हुआ था, जिससे पता चलता था कि वह आलिम (विद्वान) है।

डर के मारे वह ऊँट के कूबड़ से चिपका हुआ था। उसके चारों ओर मार-काट मची हुई थी। एक आदमी उसकी टाँग पकड़कर ऊँट पर से उतारने की कोशिश कर रहा था। बूढ़ा बुरी तरह छटपटा रहा था। चीख़-पुकार और शोर-गुल से कान के पर्दे फटे जा रहे थे। सुरक्षित स्थान में पहुँचने की जी-तोड़ कोशिश के बाद बूढ़ा कहवाघर पहुँचने में सफल हो गया। वह लड़खड़ाते हुए ऊँट से उतरा और अपना ऊँट ख़्वाजा नसरुद्दीन के गधे के पास बाँध दिया और बरामद में चढ़ गया।

बिस्मिलाहिर्रहमानुर्रहीम! इस शहर में यह हो क्या रहा है?’


बाज़ार!’ नसरुद्दीन ने संक्षिप्त उत्तर दिया।


क्या बुखारा में ऐसा ही बाज़ार लगता है? मैं महल तक कैसे पहुँचूँगा?’


महलशब्द के सुनते ही नसरुद्दीन समझ गया कि इस बुजुर्ग आदमी की मुलाक़ात में ही वह मौक़ा छिपा हुआ है, जिसका वह इंतज़ार कर रहा था। जिससे वह अमीर के हरम में घुसकर गुलजान को बचाकर ला सकता है।

बुजुर्ग ने कराहकर लंबी साँसे लेते हुए कहा, ‘ पाक परवरदिगार, मैं महल तक कैसे पहुँचूँगा?’‘कल तक इंतज़ार कीजिएगा।नसरुद्दीन ने कहा।

मैं कल तक नहीं ठहर सकता। महल में मेरा इंतज़ार हो रहा होगा।

आला हजरत! मैं तो आपका नाम जानता हूँ, पेशा। लेकिन क्या आपको यक़ीन है कि महल में रहनेवाले कल तक आपका इंतज़ार नहीं कर सकते? बुखारा के बहुत से लोग महल में जाने के लिए हफ़्तों इंतज़ार करते रहते हैं।

नसरुद्दीन की बात से गुस्सा होकर बुजुर्ग ने कहा, ‘तुम्हें मालूम होना चाहिए कि मैं एक बहुत मशहूर काबिल ज्योतिषी और हकीम हूँ। अमीर की दावत पर मैं बगदाद से रहा हूँ। सल्तनत का काम चलाने में अमीर की मदद करने।

अत्यधिक सम्मान प्रदर्शित करते हुए नसरुद्दीन ने झुककर कहा, ‘ओह! खुश आमदीद (स्वागत है) आलिम शेख़। एक बार मैं बगदाद गया था, इसलिए वहाँ के आलिमों को जानता हूँ। आपका शुभ नाम?’ ‘अगर तुम बगदाद गए हो तो तुम्हें पता होगा कि मैंने ख़लीफ़ा की क्या-क्या खिदमतें की हैं। मैंने उनके प्यारे बेटे की जान बचाई थी। इस बात का सारे मुल्क में ऐलान भी किया था।

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